Tuesday 31 March 2009

कांग्रेस या बीजेपी?

लोकसभा चुनाव सिर पर हैं। ऐसे में आप लोग संशय में होंगे कि क्या किया जाए। किस पार्टी को या किस नेता को वोट दिया जाए। हालांकि हर आदमी को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर वोट देना चाहिए। लेकिन भारत में ऐसा करना संभव नहीं। दरअसल इस कॉन्सेप्ट के पीछे की अवधारण यह है कि अगर आप एक अच्छे उम्मीदवार को चुनते हैं तो उसका लाभ अच्छी सरकार के गठन में होता है। यानि जिस पार्टी में ज्यादा अच्छे नेता चुने जाएंगे, उसी पार्टी की सरकार भई बनेगी। लेकिन भारत में 60 प्रतिशत से ज्यादा जनता अजीब फैसले करती है। पता नहीं क्या मानसिकता है कि बाहुबलियों को ही जीत दिला देती है। जितने भी अपराधी हैं वो तो आज संसद में घुसे बैठे हैं। ऐसे लोगों से क्या उम्मीद की जा सकती है। वो देश चलाएंगे या अपराध बढ़ाएंगे? ऐसे में वोट देने के लिए पार्टी के आधार और उसकी विचारधारा को जानकर ही वोट देना सही फैसला होगा। अब सवाल उठता है कि है कि किस पार्टी को वोट दिया जाए। देखिए, आदमी पार्टी का चुनाव दो आधार पर करता है। एक तो ये कि उसे उसकी विचारधारा पसंद हो और दूसरा कारण होता है उसको पार्टी विरासत में मिलना। यानि अगर आपके पिता जी कांग्रेस के समर्थक हैं तो आप भी बचपन से ही कांग्रेस की तरफ रुझान रखेंगे और अघर पिता जी बीजेपी को पसंद करते हैं तो आपकी विचारधारा भी बीजेपी से मिलेगी। लेकिन आज समय बदल गया है। आप बड़े भी हो गए हैं और इस लायक भी कि अपनी पसंद की पार्टी का चुनाव कर लें। सबसे पहले तो हम लोगों को प्रण लेना चाहिए कि हम मुख्य दो राष्ट्रीय पार्टियों में से किसी एक का चुनाव करें। आप देखें तो अमेरिका का लोकतंत्र इसलिए सफल है क्योंकि वहां मात्र दो दल हैं। लेकिन भारत में तो दलों की भरमार है। ऐसे में हमें दो प्रमुख राष्ट्रीय दलों, बीजेपी और कांग्रेस में से ही किसी एक को चुनना चाहिए ताकि कोई भी सरकार बने तो पूर्ण बहुमत के साथ। क्योंकि जब से गठबंधन वाली सरकारों का गठन होना शुरु हुआ है, राजनीति और अधिक निम्न हो गई है। कई दलाल नेता ऊपर उठ रहे हैं। सरकार गिराना बनाना सौदेबाज़ी पर निर्भर करने लगा है। बिना ये फिक्र किए
कि इससे जनता को कितना नुकसान उठाना पड़ रहा है। अत: वोट दें तो या तो कांग्रेस को या बीजेपी को ताकि कोई भी सरकार बने तो पूर्ण बहुमत के साथ। प्रधानमंत्री स्वतंत्र फैसला कर सकें बिना किसी दवाब के। अन्यथा स्थानीय दल कई बार कामों में पंगा अड़ा देते हैं। जैसे कि बीजेपी इसी गंठबंधन धर्म की वजह से राम मंदिर का निर्माण नहीं कर पाई। साथ ही यूपीए सरकार को भी वाम दलों के मूर्खतापूर्ण रवैये के परमाणु डील को अमली जामा पहनाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। वैसे भी आप किस स्थानीय दल का पल्ला पकड़ेंगे? समाजवादी पार्टी जो कि द***लों की पार्टी बन बैठी है या फिर बीएसपी जो कि यूपी में बाहुबलियों, अपराधियों को टिकट दे रही है। लालू और पासवान की पार्टियों को वोट देंगे क्या आप? ये लोग ऐसे हैं जिन्हें सिर्फ सत्ता से मतलब है। वाम दलों की तो बात ही मत करो। बात करते हैं आम आदमी की, पूंजीवाद का करते हैं विरोध और अपने बच्चों को अमेरिका और लंदन में पढ़ाते हैं। आपके पास बचते हैं दो विकल्प......... कांग्रेस और बीजेपी। किसको वोट देंगे आप?