Saturday 16 May 2009

राष्ट्रभक्त हूं इसलिए खुश हूं

बीजेपी समर्थक होने के बावजूद कांग्रेस की जीत से खुश हूं। खुशी इस बात की है कि एक ही पार्टी स्प्ष्ट बहुमत लेती दिख रही है। क्षेत्रीय दलों का सफाया हो रहा है। ये लोकतंत्र के लिए उत्सव का दिन है। एक पार्टी मज़बूत नेतृत्व देती है। कमबक्त ये क्षेत्रीय दल ब्लैकमेल करते हैं। सरकार बने तो एक ही पार्टी की चाहे वो बीजेपी की हो या कांग्रेस की। देश हित सबसे पहले
बधाई
जय हिन्द।

Friday 15 May 2009

आज तो दिल ही टूट गया

जनता पथभ्रष्ट हो गई है....
5 साल बाद फिर आउंगा

Thursday 14 May 2009

बीजेपी की बनेगी सरकार

ये कोई हवाई बात नहीं है। इस बार बेशक खिचड़ी सी पक रही है लेकिन अंतत: भारतीय जनता पार्टी/एनडीए ही केन्द्र में सरकार बनाएगी। इस बात का खुलासा कल हो जाएगा। इस बार भारी उलटफेर होंगे। लेकिन इतना तय है कि यूपीए सरकार नहीं बना पाएगा। सरकार बीजेपी ही बनाएगी। अगर मैं गलत सिद्ध हुआ तो इस ब्लॉग को मिटा दूंगा।

Saturday 11 April 2009

देखो ये बालिका क्या लिखती है...

मुझ पर तो आप बीजेपी का अंधभक्त होने का आरोप लगा देंगे लेकिन इस बालिका को क्या कहेंगे। इसका राजनीति से कोई लेना देना नहीं। फिर क्यों इसने ऐसी तल्ख बातें कह डालीं। मैं नहीं जानता ये कौन है। चिट्ठाजगत पर इसका ब्लॉह देखा। जो लिखा है वह पड़ा। भाषा में थोड़ी गलतियां है लेकिन भावों में कोई कमी नहीं।
इस बालिका का लिखा पढ़ने के लिए क्लिक करें.....



यहां क्लिक करें...

हताश कौन है???

उत्तर प्रदेश में बीजेपी के लिए चुनाव प्रचार करते हुए मोदी ने कहा था कि कांग्रेस 125 साल पुरानी 'बुढ़िया' है। इससे वह देश के विकास के लिए काम नहीं कर सकती। मोदी के इस बयान की राज्य के कांग्रेस नेताओं ने कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि मोदी हताशा के चलते अपनी जुबान पर से सुतंलन खो बैठे हैं। कांग्रेस ने कहा कि नरेंद्र मोदी को इस बयान से पहले प्रधानमंत्री पद के अपने दावेदार लालकृष्ण आडवाणी की ओर देख लेना चाहिए, जो स्वयं 81 साल के हैं। मोदी ने बात की थी पार्टी के इतिहास की। ये एक चुटकी भर थी। लेकिन कांग्रेस ने इसे सीरियसली ले लिया। कांग्रेस ने इसे कुछ और ही समझा। कांग्रेसी नेताओं ने पार्टी के नेताओं पर बात करना शुरु कर दिया। प्रियंका ने तो इस बात अपने आप से ही तुलना कर दी। उन्होंने पूछा कि क्या मैं आपको बूढ़ी दिखाई देती हूं????????????? बहुत हास्यास्पद बात है.....। हताश बीजेपी नेता हैं या कांग्रेस?????

Friday 3 April 2009

चलो किसी ने तो हमारे बारे में सोचा...

अजीब मुद्दों पर बात करने वाली पार्टियों से इतर बीजेपी ने इस बार अलग सोच रखी है। शुक्रवार को नई दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी का घोषणापत्र जारी किया गया जो सुशासन, विकास और सुरक्षा के इर्द-गिर्द घूमता है। आम जनता को सर्वप्रथम सुरक्षा ही चाहिए। वैसे भी करोड़ों की तनख्वाह लेने वाले सांसदों की प्राथमिकता जनसुरक्षा होनी चाहिए। जनता को ऐसी सरकार चाहिए जो ये सुनिश्चित करे कि गुंडागर्दी पर लगाम लगेगी और महिलाएं स्वतंत्र विचरण कर सकेंगीं।

भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार लाल कृष्ण आडवाणी ने इन वादों को पूरा करने का संकल्प लिया.
घोषणापत्र जारी करने के अवसर पर लाल कृष्ण आडवाणी समेत भाजपा के सभी बड़े नेता एक साथ मंच मौजूद थे. रामनवमी के दिन अपने घोषणापत्र को जारी करने को शुभ मानते हुए आडवाणी ने कहा कि पार्टी राम मंदिर और रामसेतु के लिए प्रतिबद्ध है.
अपने चुनाव घोषणापत्र में भाजपा ने आतंकवाद से कड़ाई से निपटने के लिए पोटा जैसा कड़ा कानून लागू करने का भी वादा किया है.
इसके अलावा अलगाववादियों को विदेशों से मिलने वाली मदद का पता लगाकर उस रास्ते को बंद करने की बात कही गई है.
माओवादियों का सफ़ाया
सत्ता में आने पर तीन लाख रुपए तक की आय को करमुक्त करने की बात कही गई है. महिलाओं के लिए ये सीमा साढ़े तीन लाख रुपए सालाना होगी. पार्टी का कहना है कि इससे साढ़े तीन करोड़ महिलाओं को लाभ पहुँचेगा.
भाजपा ने विदेशी बैंकों में जमा भारतीय धन का पता लगाने पर ज़ोर देते हुए कहा कि इसके लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे और उस धन को वापस लाकर देश के कल्याण पर खर्च किया जाएगा.
घोषणापत्र में अवैध आप्रवासियों की पहचान कर उन्हें देश से बाहर करने और बांग्लादेश सीमा पर बाड़ लगाने का काम त्वरित गति से करने का भी वादा किया गया है.
इसके अलावा माओवादियों का सफ़ाया करने के लिए छत्तीसगढ़ के मॉडल का इस्तेमाल करने की बात भी कही गई है.
घोषणापत्र में अर्धसैन्य और सैन्य बलों के जवानों को आयकर से मुक्त करने, बेहतर वेतन संरचना बनाने और पूर्व सैनिकों का पुनर्वास करने का भरोसा दिलाया गया है.
महिला सशक्तिकरण
पार्टी का कहना है कि वह मध्यप्रदेश में लोकप्रिय लाडली लक्ष्मी कार्यक्रम को पूरे देश में लागू करना चाहती है जिसके तहत गरीबी रेखा से नीचे प्रत्येक महिला को बैंक खाते खोलने के लिए डेढ़ हज़ार रुपए और स्कूल जाने वाली सभी बालिकाओं को मुफ़्त साइकिल दी जाएगी. भारतीय जनता पार्टी ने कंप्यूटर के दामों में भारी कटौती करने और पाँच वर्षों में सभी शैक्षिक संस्थानों में इंटरनेट लाने की भी घोषणा की है.
खेलों के आधारभूत ढांचे के लिए पार्टी पाँच हज़ार करोड़ रुपए की परियोजना बनाने की बात कह रही है जबकि विद्यालय पाठ्यक्रम में खेल का विषय अनिवार्य रूप से लागू करने की बात भी घोषणापत्र में है.
भाजपा ने वरिष्ठ नागरिकों को भी अपने घोषणापत्र में स्थान दिया है और रेल यात्रा में छूट देने की उम्र 65 वर्ष से घटाकर 60 वर्ष करने का बात कही है. इसके अलावा उनकी पेंशन को पूरी तरह से आयकर मुक्त करने की बात कही है।
चलिए कुछ हद तक ही सही लेकिन जन सरोकार से जुड़े मुद्दों के बारे में तो सोचा है बीजेपी ने। लेकिन देखना होगा कि सरकार बनने पर किस हद तक अपने वादों को पूरा कर पाती है।

Thursday 2 April 2009

ये हाथ किसी का साथ न देगा


चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी


ये हाथ किसी का साथ न देगा, लगाएगा सबको चपत
तो क्यों न कराएं हम मिलकर, इसकी ज़मानत ज़ब्त

Tuesday 31 March 2009

कांग्रेस या बीजेपी?

लोकसभा चुनाव सिर पर हैं। ऐसे में आप लोग संशय में होंगे कि क्या किया जाए। किस पार्टी को या किस नेता को वोट दिया जाए। हालांकि हर आदमी को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर वोट देना चाहिए। लेकिन भारत में ऐसा करना संभव नहीं। दरअसल इस कॉन्सेप्ट के पीछे की अवधारण यह है कि अगर आप एक अच्छे उम्मीदवार को चुनते हैं तो उसका लाभ अच्छी सरकार के गठन में होता है। यानि जिस पार्टी में ज्यादा अच्छे नेता चुने जाएंगे, उसी पार्टी की सरकार भई बनेगी। लेकिन भारत में 60 प्रतिशत से ज्यादा जनता अजीब फैसले करती है। पता नहीं क्या मानसिकता है कि बाहुबलियों को ही जीत दिला देती है। जितने भी अपराधी हैं वो तो आज संसद में घुसे बैठे हैं। ऐसे लोगों से क्या उम्मीद की जा सकती है। वो देश चलाएंगे या अपराध बढ़ाएंगे? ऐसे में वोट देने के लिए पार्टी के आधार और उसकी विचारधारा को जानकर ही वोट देना सही फैसला होगा। अब सवाल उठता है कि है कि किस पार्टी को वोट दिया जाए। देखिए, आदमी पार्टी का चुनाव दो आधार पर करता है। एक तो ये कि उसे उसकी विचारधारा पसंद हो और दूसरा कारण होता है उसको पार्टी विरासत में मिलना। यानि अगर आपके पिता जी कांग्रेस के समर्थक हैं तो आप भी बचपन से ही कांग्रेस की तरफ रुझान रखेंगे और अघर पिता जी बीजेपी को पसंद करते हैं तो आपकी विचारधारा भी बीजेपी से मिलेगी। लेकिन आज समय बदल गया है। आप बड़े भी हो गए हैं और इस लायक भी कि अपनी पसंद की पार्टी का चुनाव कर लें। सबसे पहले तो हम लोगों को प्रण लेना चाहिए कि हम मुख्य दो राष्ट्रीय पार्टियों में से किसी एक का चुनाव करें। आप देखें तो अमेरिका का लोकतंत्र इसलिए सफल है क्योंकि वहां मात्र दो दल हैं। लेकिन भारत में तो दलों की भरमार है। ऐसे में हमें दो प्रमुख राष्ट्रीय दलों, बीजेपी और कांग्रेस में से ही किसी एक को चुनना चाहिए ताकि कोई भी सरकार बने तो पूर्ण बहुमत के साथ। क्योंकि जब से गठबंधन वाली सरकारों का गठन होना शुरु हुआ है, राजनीति और अधिक निम्न हो गई है। कई दलाल नेता ऊपर उठ रहे हैं। सरकार गिराना बनाना सौदेबाज़ी पर निर्भर करने लगा है। बिना ये फिक्र किए
कि इससे जनता को कितना नुकसान उठाना पड़ रहा है। अत: वोट दें तो या तो कांग्रेस को या बीजेपी को ताकि कोई भी सरकार बने तो पूर्ण बहुमत के साथ। प्रधानमंत्री स्वतंत्र फैसला कर सकें बिना किसी दवाब के। अन्यथा स्थानीय दल कई बार कामों में पंगा अड़ा देते हैं। जैसे कि बीजेपी इसी गंठबंधन धर्म की वजह से राम मंदिर का निर्माण नहीं कर पाई। साथ ही यूपीए सरकार को भी वाम दलों के मूर्खतापूर्ण रवैये के परमाणु डील को अमली जामा पहनाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। वैसे भी आप किस स्थानीय दल का पल्ला पकड़ेंगे? समाजवादी पार्टी जो कि द***लों की पार्टी बन बैठी है या फिर बीएसपी जो कि यूपी में बाहुबलियों, अपराधियों को टिकट दे रही है। लालू और पासवान की पार्टियों को वोट देंगे क्या आप? ये लोग ऐसे हैं जिन्हें सिर्फ सत्ता से मतलब है। वाम दलों की तो बात ही मत करो। बात करते हैं आम आदमी की, पूंजीवाद का करते हैं विरोध और अपने बच्चों को अमेरिका और लंदन में पढ़ाते हैं। आपके पास बचते हैं दो विकल्प......... कांग्रेस और बीजेपी। किसको वोट देंगे आप?